परोपकारी पुनीत राजकुमार जनता के असली नायक

नरेंद्र तिवारी \’पत्रकार\’

Rai Singh Sendhav

जिंदगी का कोई भरोसा नहीं है। कब सांसे उखड़ जाए कहा नहीं जा सकता है। अक्टूम्बर की 29 तारीख को कन्नड़ फिल्मों के नायक पुनीत राजकुमार अत्यंत कम आयु में दुनियाँ से रुखसत हो गए। मौत के समय उनकी उम्र मात्र 46 वर्ष ही थी। उनका ह्रदयघात से अकस्मात निधन हो गया। उनका असमय दुनियाँ से जाना उनके चाहने वालो को अंदर तक दुखी कर गया। एक अभिनेता के रूप में चर्चित पुनीत राजकुमार ने अपनी फिल्मों से सदैव मानवीय संवेदनाओं का गहरा संदेश दिया है। वें असल जिंदगी के नायक थै। कम उम्र में सिनेमा से जुड़े पुनीत दया, करुणा, मानवीयता ओर संवेदनाओं से ओतप्रोत व्यक्तित्व थै। इसका संदेश उनके द्वारा संचालित सेवा गतिविधियों से मिलता है। सेवा और परोपकारों के कार्यो की लंबी सूची देखकर ह्रदय पुनीत के प्रति श्रद्धाभाव से भर जाता है। धन-दौलत, रुपया-पैसा,संपत्तियां अनेकों अभिनेताओं के पास है। पद,ओहदा ओर पावर से भी अनेकों फिल्मी हस्तियां सुसज्जित है। धनी ओर नामी हस्तियां फिल्मी दुनियाँ में अनगिनत है। किंतु पुनीत राजकुमार जैसे असल जिंदगी के नायक कम ही नजर आते है। दरअसल पुनीत की ख्याति उनके श्रेष्ठ अभिनय से तो थी ही, सेवा और परोपकार की संचालित गतिविधियां ही असल जिंदगी में उनकी ख्यातनामी का कारण बनी। सेवा का यह कार्य मौत के बाद भी जारी रखते हुए अपनी आंखों का दान कर उन्होंने मरणो उपरांत भी सेवा का संदेश दिया। उनकी मौत की खबर के बाद उनके समर्थक हजारों की संख्या में अस्पताल के बाहर एकत्रित हो गए और घण्टों डटे रहे। उनके अंतिम दर्शन के लिए भी भारी जनसैलाब उमड़ा जो उनकी ख्याति ओर नेकनामी को दर्शाता है। उनकी मौत की खबर से साउथ ओर बॉलीवुड की फिल्मी दुनियाँ गमगीन हो गयी। देश के प्रधानमंत्री सहित नेताओं अभिनेताओं,क्रिकेटरों ने शोक संवेदनाएं प्रकट की। उनकी मौत के सदमे की खबर से अनेक चाहने वाले खुद मौत का शिकार हो गए। अभिनेता सिर्फ पर्दे पर नहीं होते,लोगो के दिलों पर राज करते है। यह तब होता है,जब वह पर्दे के बाहर भी नायक जैसा आचरण करते है। तब ही दर्शकों से आत्मीय जुड़ाव हो पाता है। पुनीत की पुण्यता की लंबी सूची पढ़कर ही इस असली अभिनेता के प्रति मन मे जुड़ाव ओर श्रद्धा का भाव प्रकट होना स्वाभाविक है। समाचार माध्यमों से ज्ञात हुआ कि पुनीत स्कूलों का संचालन करते थै। जहां निशुल्क शिक्षा दी जाती थी। 26 उपहार गृह,16 वृद्धा आश्रम,19 गौशालाओं का संचालन करते थै। उनकी संस्था 1800 बेसहारा बालिकाओं को गोद लेकर मुक्त शिक्षा देने का मानवीय ओर परोपकारी कार्य भी कर रहीं थी। कोरोनाकालीन विपदा के समय प्रधानमंत्री राहत कोष में 50 लाख रु का दान भी उन्होंने दिया था। उन्होंने अनाथ आश्रम भी खुलवा रखे थै। मरणो उपरांत आंखों को दान करने का फैसला जिंदगी के साथ भी ओर जिंदगी के बाद भी उनकी संवेदनशीलता को प्रदर्शित करता है। पुनीत राजकुमार को अनेकों फिल्मों में गरीबों,मजलूमों का मसीहा दिखाया गया गया है। यह फिल्मों का वह मसीहा नहीं जो अंधेरी रातों में सुनसान राहों में गरीबों, मजलूमों,दिन दुखियों ओर जरूरतमंदों की सहायता महज पर्दे के अभिनय में करने निकलता है, पुनीत राजकुमार गरीबो बेसहाराओं के असली मसीहा थै,जो पर्दे के बाहर निकलकर दिन के उजालो में भी सेवा गतिविधियों का संचालन करते थै। गरीबो,दिन दुखियों ओर जरूरतमंदों की मदद का कार्य करते थै। बेसहाराओं का सहारा बनकर उनके जीवन को सवारने के कार्य को असली नायक के रूप में अंजाम देते थै।
फिल्में समाज का आईना होती है। सिनेमाई नायक-नायिकाएं अपने अभिनय से समाज को अच्छाई,ईमानदारी का पाठ पढ़ाते है। फिल्मों के दृश्य जरूर काल्पनिक होते है। किन्तु आमजन पर इनका गहरा प्रभाव पड़ता है। पुनीत राजकुमार का जीवन पर्दे के अंदर ओर पर्दे के बाहर भी श्रेष्ठ अभिनय की मिसाल के रूप में लम्बे समय तक याद किया जाएगा। ऐसा नहीं है कि बॉलीवुड फिल्मों के नायक सेवा और परोपकारी कार्यो को अंजाम नहीं देते यहां भी शिक्षा,स्वास्थ्य और सेवा में फिल्मी नायक-नायिकाओं की बड़ी भूमिका है। किन्तु मुम्बईयाँ फिल्मों के नायक-नायिकाओं का एक अंधेरा पक्ष भी है जो चर्चाओं में रहता है। वॉलीवुड का ड्रग्स से नाता पुराना रहा है। हाल ही में अभिनेता शाहरुख खान के पुत्र आर्यन खान की क्रूज पर ड्रग्स पार्टी काफी चर्चा में रहीं है। संजय दत्त के पीछे भी ड्रग्स ओर हथियारों का काला दाग लगा हुआ है। अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद लम्बा चला ड्रग्स ड्रामा मुम्बईयाँ फिल्मों के नायक-नायिकाओं के असल जीवन की कहानियों को उजागर करता है। अंडरवर्ल्ड ओर सिनेमा सितारों की निकटता किसी से छुपी नहीं है। एक दौर था तब माना जाता है कि अंडरवर्ल्ड के रुपयों की चमक से बॉलीवुड में रोशनाई कायम है। गुलशन कुमार की हत्या बॉलीवुड में अंडरवर्ल्ड की घुसपैठ की कहानी है। जो जाहिर हुए वहीं किस्से अखबारों और टेलीविजन की सुर्खियां बन गए। ऐसे अनेकों गोपनीय किस्से है,जो बॉलीवुड में सुर्खियों में रहे है। यह किस्से सिनेमाई जगत ओर अंडरवर्ल्ड के कनेक्शन को पुख्ता करते प्रतीत होते है। ऐसा भी नहीं है कि बॉलीवुड में सब बुरे ही है। बहुत से अच्छे अभिनेता-अभिनेत्री पहले भी थै,आज भी मौजूद है। जिनका जीवन ही उनका सन्देश रहा है। यहां भी सेवा की गतिविधियों का संचालन होता है। देश में कहीं भी संकट आने पर बॉलीवुड भी चिंतित होता है और सहायता कोष में मदद करता है। सोनू सूद अक्षय कुमार जैसे सेवाभावी अभिनेता पर्दे के बाहर आकर भी सेवा गतिविधियों का संचालन करते है। किंतु साउथ फिल्मों के अभिनेता पुनीत राजकुमार की संचालित गतिविधियों की तुलना में यह काफी कम नजर आता है। पुनीत राजकुमार की असमय मौत जीवन के असली पर्दे के एक नायक की मौत है। जिनका अल्प जीवन संदेशों से भरा दिखाई देता है। पुनीत की पुण्याई उनके असली जीवन के नायक होने की कहानी है। उनके पिता डाक्टर राजकुमार ने भी अपनी आंखों से दूसरों को रोशनी दी थी। यह फर्ज पुनीत ने भी अपनी मौत के बाद निभाया है। असली हीरों का असमय चला जाना फिल्मी दुनियाँ की अपूरणीय क्षति है। फिल्मी दुनियाँ में पुनीत की पुण्याई का संदेश जरूर प्रेरणा स्त्रोत का काम करेगा इस सन्देश में सेवा गतिविधियों के अलावा पर्दे के बाहर का आचरण भी शामिल है। सिनेमाई चमक दमक के बीच आपका आचरण और जनसेवा के कार्य ही तो आपको असल जिंदगी में नायक बनाते है। पुण्यात्मा पुनीत राजकुमार जनता के असली हीरो थै। जो पर्दे पर अच्छे अभिनय और पर्दे के बाहर मानवीय संवेदनाओं के कारण दर्शकों के दिलों में लम्बे समय तक राज करते रहेंगे।
——-

संपादक

+ posts

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Enable Notifications OK No thanks