Chhath puja : महिलाएं लगाती हैं सिंदूर का लंबा टीका…
छठ पूजा उत्तर भारत का विशेष पर्व है। खासकर बिहार में इस पर्व की खासी धूम होती है। सरयू के तट पर सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। अब यह पर्व समूचे देश मे मनाया जाने लगा है। छठ पूजा में भगवान सूर्य की अराधना की जाती है। यह कार्तिक महीने में दिवाली के 6 दिन बाद आने वाला पर्व है। 2018 में यह 11 नवंबर को नहाय खाय के साथ शुरू हो गया है। अब 13 नवंबर की शाम को सूर्य देव को पहला अर्ध्य दिया जाएगा। जिन राज्यों में छठ का त्योहार बनाया जाता है, वहां विवाहित महिलाएं भी पूरी आस्था के साथ इसे रखती हैं।

छठ पूजा के दौरान महिलाओं में सिंदूर लगाने का भी एक खास महत्व है।
सिंदूर को विवाहित महिलाओं का सबसे बड़ा श्रृंगार माना जाता है। माना जाता है कि सिंदूर जितना लंबा होगा, पति की उम्र और तरक्की भी उतनी ही ज्यादा होगी। चूंकि छठ का पर्व छठी मैया से परिवार की मंगलकामना हेतु रखा जाता है, इसलिए महिलाएं इस दिन लंबा सिंदूर लगाकर पूजा करती हैं ताकि उनको पति की लंबी उम्र का वरदान मिले।
इस पर्व में छठ गीतों का भी बेहद महत्व होता है। इसके अलावा घाट जाते समय दंडवत प्रणाम करने की प्रक्रिया भी खास होती है। इसमें श्रद्धालु सूर्य देवता को नमस्कार करते हुए जमीन पर दंडवत लेटते हुए घर से नदी तक की दूरी तय करते हैं। कहते हैं ऐसा करने से मन में मांगी हुई मुराद पूरी होती है।
छठ कथा : किवदंती
छठ की कथाओं में एक और कथा प्रचलित है। कहा जाता है प्रियव्रत नाम का एक राजा था जिसकी कोई संतान नहीं थी। फिर उस राजा को महर्षि कश्यप ने पुत्रयेष्टि यज्ञ करने की सलाह दी। सफलता पूर्वक यज्ञ करने के बाद उसे एक पुत्र प्राप्त हुआ लेकिन वह भी मरा हुआ पैदा हुआ। कहा जाता है कि जब राजा मृत बच्चे को दफनाने की तैयारी कर रहे थे, तभी आसमान से एक ज्योतिर्मय विमान धरती पर उतरा और उसमें बैठी देवी ने कहा, मैं षष्ठी देवी और विश्व के समस्त बालकों की रक्षिका हूं। इतना बोल कर देवी ने उस मृत शरीर को स्पर्श किया, जिससे वह जीवित हो उठा। इसके बाद से राजा ने इस त्योहार की परंपरा अपने राज्य में घोषित कर दी।